दिल्ली: केंद्र की एनडीए सरकार ने 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ घोषित किया है। इसको लेकर भारत सरकार की ओर से नोटिफिकेशन जारी कर दिया गया है। दरअसल 25 जून 1975 को इसी दिन तत्कालालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लगाने की घोषणा की थी। संविधान को लेकर बीजेपी और कांग्रेस के बीच हो रहे राजनीतिक जंग और बयानबाजी के बीच केंद्र की मोदी सरकार ने ये फैसला लिया है। लोकसभा चुनाव में कांग्रेस और विपक्षी दलों ने संविधान बदलने और संविधान खतरे में की बाते कहकर लोगों से वोट मांगा था यही नहीं कांग्रेस सहित विपक्ष के कई सांसदों ने संविधान की कांपी हाथ में रखकर लोकसभा में शपथ ली थी और बीजेपी को संविधान विरोधी और खुद को संविधान का रक्षक बताने की कोशिश की। कांग्रेस और विपक्ष के इसी हमले का तोड़ बीजेपी की अगुवाई में चल रही एनडीए की सरकार ने निकालते हुए 25 जून को संविधान हत्या दिवस घोषित किया है। देश में अबतक तीन बार आपातकाल लग चुका है। 1962, 1971 और 1975 में अनुच्छेद 352 के अंतर्गत राष्ट्रीय आपातकाल उस समय की तत्कालीन सरकार लगा चुकी है।
25 जून को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाने के सरकार के निर्णय पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, “25 जून को संविधान हत्या दिवस के रूप में मनाना हमें याद दिलाएगा कि जब भारत के संविधान को रौंदा गया था, तब क्या हुआ था। यह प्रत्येक व्यक्ति को श्रद्धांजलि देने का भी दिन है, जिसने आपातकाल की ज्यादतियों के कारण कष्ट झेले, जो भारतीय इतिहास का एक काला दौर था।”
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केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने इस संबंध में अपने सोशल मीडिया अकाउंट एक्स पर पोस्ट करते हुए लिखा कि 25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी ने अपनी तानाशाही मानसिकता को दर्शाते हुए देश में आपातकाल लगाकर भारतीय लोकतंत्र की आत्मा का गला घोंट दिया था। लाखों लोगों को अकारण जेल में डाल दिया गया और मीडिया की आवाज को दबा दिया गया। भारत सरकार ने हर साल 25 जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मनाने का निर्णय किया है। यह दिन उन सभी लोगों के विराट योगदान का स्मरण करायेगा, जिन्होंने 1975 के आपातकाल के अमानवीय दर्द को झेला था।
“25जून 1975 वह काला दिवस था जब तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के तानाशाही मानसिकता ने हमारे संविधान में निहित लोकतंत्र की हत्या कर देश पर ‘आपातकाल’ थोपा था। केंद्र सरकार ने प्रत्येक वर्ष 25जून को ‘संविधान हत्या दिवस’ के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। यह दिवस हमारे सभी महापुरूषों के त्याग व बलिदान का स्मरण कराएगा जो कांग्रेस के इस तानाशाही मानसिकता के विरुद्ध संघर्ष करते हुए संविधान की रक्षा व लोकतंत्र की पुनर्स्थापना के लिए यातनाएं सही और दिवंगत हो गए। प्रत्येक वर्ष लोकतंत्र की महत्ता का स्मरण कराने वाले इस निर्णय के लिए मैं प्रधानमंत्री जी का आभार प्रकट करता हूँ।”