दिल्लीः हैदराबाद सांसद असदुद्दीन ओवैसी की लोकसभा सदस्यता जा सकती है । लोकसभा में उन्होंने अपने शपथ ग्रहण में जिन नारों का इस्तेमाल किया उससे उनकी सदस्तयता जा सकती है । औवैसी ने शपथग्रहण के दौरान ‘जय भीम, जय मीम’ के साथ ‘जय फिलिस्तीन’ के नारे लगाए थे। इतना ही नहीं आखिर में उन्होंने ‘तकबीर अल्ला हू अकबर’ का नारा भी इस्तेमाल किया । हांलाकि ‘जय फिलिस्तीन’ नारे को संसद की कार्यवाही से निकाल दिया गया । संसदीय कार्यवाही और नियमों के जानकारों के मुताबिक AIMIM के असदुद्दीन ओवैसी जा सकती है ।
Owasi की सदस्यता जाएगी ?
गौलतबल है कि ओवैसी ने शपथ के दौरान जब फिलस्तीन का नारा लगाया तो केंद्रीय मंत्री और बीजेपी सांसद शोभा करंदलाजे ने विरोध दर्ज किया था। राधामोहन सिंह ने ओवैसी के इस बयान को रिकार्ड से निकालने के लिए कहा । संसद के मौजूदा नियमों के अनुसार, किसी भी सदन के सदस्य को किसी विदेशी राज्य के प्रति निष्ठा प्रदर्शित करने पर, उसकी लोकसभा या किसी भी सदन की सदस्यता से अयोग्य ठहराया जा सकता है । जानिए क्या कहता है नियम ?
क्या कहते हैं नियम ?
अगर कोई संसद के दोनों सदनों यानी लोकसभा और राज्यसभा के लिए चुन लिया जाए तो उसे एक तय समय में किसी एक सदन की सदस्यता छोड़नी होती है, लेकिन अगर वह ऐसा नहीं करता, तो संविधान के अनुच्छेद 101 में संसद को अधिकार है कि उससे एक सदन या दोनों सदनों की सदस्यता छीन ले ।
- कोई भी संसद और विधानसभा का सदस्य एक साथ नहीं रह सकता। उसे एक पद से इस्तीफा देना ही होता है,अगर वह एक निश्चित समय के अंदर दोनों में से एक सदस्यता नहीं त्यागता, तो उसकी संसद सदस्यता छीनी जा सकती है।
- संसद के किसी भी सदन का सदस्य बिना इजाजत अगर संसद की बैठकों-कार्यवाही से 60 दिनों तक गैर हाजिर रहता है, तो उसकी सीट को खाली घोषित किया जा सकता है। यानी उसकी सदस्यता खत्म मान ली जाती है। इन 60 दिनों में उन दिनों को नहीं गिना जाएगा, जिस दौरान सत्र चार से अधिक दिनों तक स्थगित हो या सत्रावसन हो गया हो।
- संविधान के अनुच्छेद 102 के मुताबिक, अगर कोई सदस्य सरकार में लाभ के पद पर है, तो उसकी संसद सदस्यता चली जाती है। सिर्फ उस पद पर बने रहने पर वह अयोग्य घोषित नहीं होगा, जिस पद पर सांसदों का बना रहना किसी कानून के तहत उसे अयोग्य नहीं ठहराता, वहां से वेतन, भत्ते और दूसरे सरकारी लाभ लेने पर मनाही है ।
- अगर कोई सांसद किसी अदालत द्वारा मानसिक रूप से अस्वस्थ घोषित कर दिया जाए तो उसकी सदस्यता चली जाएगी। अगर कोई दीवालिया घोषित है, तो उसकी भी संसद सदस्यता छीनी जा सकती है।
- अगर कोई व्यक्ति भारत का नागरिक न हो, या फिर वह किसी और देश की नागरिकता ग्रहण कर ले तो उसकी सदस्यता रद्द कर दी जाएगी।
- संविधान के अनुच्छेद 102 के मुताबिक, अगर वह किसी और देश के प्रति निष्ठा जताता है, तो भी उसकी सदस्यता जा सकती है ।
- असदुद्दीन ओवैसी के मामले में यही कहा जा रहा है कि चूंकि उन्होंने फिलिस्तीन के प्रति निष्ठा प्रदर्शित की, इसलिए संसदीय कानूनों के मुताबिक, उनकी सदस्यता जा सकती है ।
इसके अलावा, दल बदलने पर, पार्टी के आदेशों का उल्लंघन करने पर और दो या इससे अधिक साल की सजा होने पर भी संसद की सदस्यता चली जाती है. किसी सांसद ने अपने चुनावी हलफनामे में कोई गलत जानकारी दी है या फिर वह लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम का उल्लंघन करता है तो उसकी सदस्यता जा सकती है ।