कोडरमा: में हाथियों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा है। पिछले एक पखवाड़े से कोडरमा के निवासी हाथियों के उत्पात से परेशान हैं। ताजा मामला बिहार-झारखंड की सीमा पर स्थित कोडरमा थाना क्षेत्र के तारा घाटी का है। यहां हाथियों ने फसलों को नुकसान पहुंचाने के साथ-साथ आज तारा घाटी में रहने वाले कई गरीबों के आशियाने उजाड़ दिए। हाथियों ने वहां रहने वाले लोगों की झोपड़ियों को निशाना बनाते हुए एक दर्जन से अधिक झोपड़ियों को क्षतिग्रस्त कर दिया। इस आतंक से ग्रामीणों में भय का माहौल है और वे अपने घर जाने से डर रहे हैं।
कोडरमा में हाथियों का आतंक
इससे पहले इसी झुंड को मरकच्चो, फिर जयनगर और उसके बाद डोमचांच में देखा गया था, जहां उन्होंने किसानों की फसलों को नुकसान पहुंचाया था। अब यह झुंड तारा घाटी पहुंच गया है, जहां से उन्हें मेघातरी की ओर खदेड़ा गया। झुंड में हाथियों की संख्या अधिक होने से लोग दहशत में हैं। वन विभाग द्वारा हाथियों को इलाके से बाहर खदेड़ने के लिए विशेषज्ञों को बुलाने की तैयारी की जा रही है। प्रभावित ग्रामीणों ने वन विभाग से मदद की गुहार लगाई है।
झारखंड में मानव-हाथी संघर्ष के आंकड़े:
झारखंड में मानव-हाथी संघर्ष एक गंभीर समस्या बन गई है। पिछले कुछ वर्षों में इस संघर्ष में वृद्धि देखी गई है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार:
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2019-2020: मानव-हाथी संघर्ष में 84 लोगों की मृत्यु हुई और 1,800 से अधिक घर क्षतिग्रस्त हुए।
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2020-2021: 93 लोगों की मृत्यु और 2,200 से अधिक घरों को नुकसान पहुंचा।
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2021-2022: 102 लोगों की मृत्यु और 2,500 से अधिक घर प्रभावित हुए।
इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि मानव-हाथी संघर्ष झारखंड में एक बढ़ती हुई समस्या है, जिसे तत्काल समाधान की आवश्यकता है। वन विभाग और स्थानीय प्रशासन को मिलकर इस समस्या का स्थायी समाधान खोजने की दिशा में कार्य करना चाहिए, ताकि मानव और वन्यजीव दोनों की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके।