शिबू सोरेन कौन हैं, नई पीढ़ी नहीं जानती है । सिर्फ इतना जानती है कि वो दिशोम गुरु हैं। अलग झारखंड के लिए संघर्ष करने वाले नेता, और उनके विरोधियों द्वारा फैलाए जा गए प्रोपगेंडा के तहत परिवारवाद को बढ़ावा देने वाले । शिबू सोरेन की उम्र हो चुकी है वो अब बहुत कम बोलते हैं। ऐसा नहीं कि वे बोलना नहीं चाहते बल्कि वे आज भी उतने ही जोशिले तरीके से भाषण दे सकते हैं जिस जोश के साथ वो आंदोलन के दौरान देते रहे हैं । मगर वे ट्रेडमिल में सेहत बना दिल्ली के हवा में सियासी खेल करने वाले नेता नहीं रहे, वे पैदल चले, जंगलों में घूमों, घोर निर्धनता के बीच रातें बिताई, पहाड़,-पठार और जंगलों में पूरा जीवन बीता दिया तब जा कर झारखंड नाम का एक राज्य देश के नक्शे पर नजर आ रहा । एक के राय और बिनोद बिहारी महतो के साथ आंदोलन और जेएमएम की शुरुआत करने वाले गुरु जी का भाषणों की यूट्यूब लिंक और एप्प पर आसानी नहीं मिलेगा और ना ही पहुंचाएगा जाएगा आप तक एक एजेंडे की तरह। वे 11 जनवरी को 80 साल के हो गए । आप सुनिए आजादी के 50 साल होने पर संसद में दिया गया उनका ऐतिहासिक भाषण और समझने की कोशिश कीजिए झारखंड के संघर्ष के पीछे की कहानी