रांची. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने राज्य के इतिहास में पहली बार ऐसा कदम उठाया है जिससे झारखंड के उन कामगारों,श्रमिकों को परदेस में अपनी जान ख़तरे में डालने की ज़रूरत नहीं पड़ेगी । हेमंत सरकार ने राज्य २२ जनवरी को जिन ढाई हज़ार कामगारों को नियुक्ति पत्र सौंपा उनमें वे श्रमिक भी शामिल थे जिन्हें अलग -अलग राज्यों से रेस्क्यू कर झारखंड लाया गया था । लराज्य प्रवासी नियंत्रण कक्ष के सहायता से रेस्क्यू किए गए 7 श्रमिकों को झारखंड के विभिन्न वस्त्र उद्योगों में नियुक्ति पत्र दिया गया। मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन के हाथों से इन्हें नियुक्ति पत्र मिला। ये 7 श्रमिक झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम, हजारीबाग, पलामू एवं गिरीडीह के रहने वाले है। ये देश के विभिन्न राज्यों में रोजगार के लिए गए थे और अलग अलग परिस्थितियों में फंसे हुए थे। इनमें से 2 उत्तरकाशी टनल , 3 तमिल नाडु, 1 दुबई से रेस्क्यू किए गए है और 1 विकलांग है जिन्होंने कंट्रोल रूम को काम के लिए कॉल किया था।
- गुमधर नायक, निवासी पूर्वी सिंहभूम , उत्तराखंड के उत्तरकाशी टनल से रेस्क्यू
- बिलखना होरो, निवासी खूंटी, उत्तराखंड के उत्तरकाशी टनल से रेस्क्यू
- मोहम्मद गुलज़ार अंसारी, निवासी हज़ारीबाग़, दुबई से रेस्क्यू
- निर्मल कुमारी , निवासी पलामू, तमिलनाडु से रेस्क्यू
- सुनयना कुमारी , निवासी पलामू, तमिलनाडु से
- प्रतिमा कुमारी, निवासी पलामू, तमिलनाडु से रेस्क्यू
- मोहम्मद आलम अंसारी, निवासी गिरिडीह, विकलांग , कंट्रोल रूम में मिली नौकरी